Jun 27, 2024 | Women Empowerment | Daily Report |
Women Empowerment | News Count (10) | |
1 | Women In Services -> Women In Medicine | 1 |
2 | Women In Services -> Women Entrepreneur | 3 |
3 | Startups and innovations by women -> Startups by Women | 1 |
4 | Women in Farming -> Women In Allied Activities | 1 |
5 | Inspiring Women -> Women in 21st Century | 1 |
6 | First Women -> First of her kind | 3 |
1. संगम नगरी की इस महिला के पास है अनोखा टैलेंट, कारखाने में बना रही हैं 25 प्रकार के अचार
- सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग की ओर से फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण लेकर प्रयागराज की सुधांजली श्रीवास्तव ने कोरोना काल में पति डॉ. विवेक श्रीवास्तव के साथ मिलकर शुरुआत में आंवले के बने उत्पाद का स्टार्टअप प्लान किया । 25 हजार रुपए से शुरू किया और आज 1 साल में 20 लख रुपए से अधिक का टर्नओवर हैं।
- सुधांजली की टीम द्वारा लोगों के लिए आंवले के 25 प्रकार तैयार किए गए, जो लोगों को काफी पसंद आने लगे। जो प्रयागराज से लेकर पूरे देश के कोने कोने में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से भेजा जाने लगा।
- सुधा श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी टीम में अचार बनाने के लिए 3 महिलाएं मार्केटिंग देखने के लिए एक व्यक्ति हाल ही में ग्राहकों की डिमांड पर खोले गए हैं। यहां एक आउटलेट में एक महिला को रखा गया है. इस प्रकार स्टार्टअप में काम चल रहा है।
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2. नहीं रहे पति, तो खुद के पैरों पर खड़ी हुईं यह महिला, अब आत्मनिर्भर बन कमा रही हैं लाखों
- उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली रचना मोहन ने पति की मौत के बाद प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख रुपए का लोन लिया। रचना ने लोन से मिले हुए पैसे से 14.5 लाख रुपए की पेपर बैग बनाने वाली मशीन खरीदी और मशीन को अपने घर की छत पर लगा कर पेपर बैग बनाना शुरू कर दिया।
- रचना मोहन ने अपने यहां तैयार किए हुए पेपर बैग को शाहजहांपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों में बेचना शुरू कर दिया । उसका अब 8 से 10 लाख रुपए महीने का टर्नओवर हो जाता है। जिसमें करीब उन्हें 10% मुनाफा भी मिल जाता है।
- रचना मोहन समर्पण सेवा संस्था भी चलाती हैं, जिसमें उनके साथ शहर की करीब 25 से 30 महिलाएं काम करती हैं। यह संस्था बेटियों की शिक्षा और उनको स्वावलंबी बनाने का काम करती है।
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3. साल 2017 में इस बालिका वधू ने पास की थी NEET UG की परीक्षा, अब नीट पीजी की तैयारी, मुश्किल हालातों से लड़कर बनी डॉक्टर
- राजस्थान के नागौर की डॉ. रूपा यादवने साल 2017 में NEET UG की परीक्षा पास की थी। आज वह डॉक्टर हैं और NEET PG के लिए तैयारी कर रही हैं।
- रूपा की शादी उनकी बड़ी बहन के साथ ही कर दी गई थी। शादी के समय वह सिर्फ 8 साल की थीं। रूपा की पढ़ाई के प्रति लगन को उनके ससुराल वालों ने समझा और उनके पति ने भी पढ़ाई में पूरा साथ दिया। रूपा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई अपने ससुराल से पूरी की और साथ में मेडिकल परीक्षा की तैयारी की।
- डॉ. रूपा नागौर जिले के खारिया गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र में चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त हैं।
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4. इस महिला ने 3500 महिलाओं को दिया रोजगार, इनके आर्टिकल की विदेशों में भी मांग, 108 काली वाला घाघरा है सबसे खास
- झुंझुनू के छोटे से गांव की रहने वाली अनीता कंवर ने 2003 में सत्यम शिवम सुंदरम नाम से अपनी संस्था की शुरुआत की थी। लेकिन अब जब विदेश तक इनके आर्टिकल ने अपनी पहचान बनाई है तो इन्होंने अपनी संस्था का नाम लालर रख लिया है।
- लालर नाम से आज अनीता के आर्टिकल विदेश में भी पहचाने जाते हैं। इनमें से सबसे खास इनका 108 काली का घाघरा है जिसे विशेष तौर पर महिलाएं बाहर से आकर लेकर जाती हैं। अनीता कंवर ने 3500 महिलाओं को रोजगार दे रखा है।
- अनीता ने महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले लगभग विभागों से मदद दिलवाई है। जिनमें उद्योग आधार से उन्होंने पांच ₹5 लाख तक का लोन दिलवाकर उनके स्वयं की बुटीक भी शुरू करवाई है। उनके साथ काम करने वाली महिलाओं के द्वारा हैंडीक्राफ्ट आर्टिकल्स तैयार किए जाते हैं।
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5. 24 साल पहले आदिवासी महिलाओं ने शुरू किया था ये स्टार्टअप, आज विदेशों तक मिल चुकी है पहचान, तगड़ी कमाई
- राजस्थान के सिरोही जिले के सियावा गांव की टीपू देवी ने 24 वर्ष पहले अपने गांव की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर आदिवासी मिट्टी शिल्प फेडरेशन स्टार्टअप शुरू किया। आज उनका सालाना टर्न ओवर 35-40 लाख रुपए है।
- टीपू देवी गरासिया के केंद्र पर तैयार होने वाली कलाकृतियां चीन, इटली, स्विट्जरलैंड, पेरिस और सिंगापुर की प्रदर्शनी में लोगों को दिखाई गयी। उनकी यह मूर्तियां देश के विभिन्न राज्यों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा व फ्रांस आदि देशों में भी एक्सपोर्ट होती है।
- टीपू देवी ने बताया कि आदिवासी महिलाएं केंद्र से कच्चा माल अपने साथ घर ले जाकर अपने हाथों से मूर्तियां तैयार करती है। जिसके बाद केंद्र पर लाकर प्रशिक्षित आदिवासी महिला पेंटर रंगों से इसे सजाती है। इससे महिलाओं को घर बैठे ही महीने की 7-8 हजार रुपए की कमाई कर रही है।
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6. 1987 में अर्थशास्त्र से किया ग्रेजुएशन, फिर इस महिला किसान ने शुरू की खास सब्जी की खेती, गजब की कमाई
- बिहार के समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड के हेतनपुर गांव की किसान चंद्रकांता कुमारी ने 15 कट्ठा जमीन पर कुंजरी की खेती करके रोजाना डेढ़ क्विंटल से ज्यादा उत्पादन कर रही है, जिससे रोजाना 2000 रुपए का मुनाफा कमा रही है।
- चंद्रकांता कुमारी ने बताया कि, उन्हें 1987 में अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद सरकारी नौकरी पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने इस चुनौती का सामना करते हुए, अपना ध्यान बच्चों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की ओर लगाया, और फिर सब्जी की खेती में कदम रखा।
- चंद्रकांता ने बताया कि उन्हें अपनी ऊपज को सीधे बाजार में बेचने पर अतिरिक्त 5 रुपए मिलते है, और स्थानीय व्यापारियों को बेचने पर 5 रुपए की कटौती होती है। वर्तमान में ग्राहक उनकी ताजा ऊपज 20 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर खरीदते है।
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7. छत्तीसगढ़ की पहली जेसीबी वूमेन को एक्सपो के लिए जापान से बुलावा, मुख्यमंत्री ने कहा जापान जाने सामान पैक कर लीजिए, हम आपको भेजेंगे टोक्यो
- छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की दमयंती सोनी ( 61 साल ) छत्तीसगढ़ की पहली जेसीबी चलाने वाली महिला है। जो न केवल फर्राटे से जेसीबी चलाती है, अपितु देशभर के एक्सपो में भी भाग लेती है और अब उन्हें जापान से बुलावा आया है ।
- दमयंती सोनी ने बताया कि, वर्ष 2012 में पति के निधन के बाद से वह जेसीबी चला रही है। उन्होंने देशभर में अनेक एक्सपो में भाग लिया है और वह इस संबंध में अनेक कंपनियों के साथ काम कर रही है।
- दमयंती कुछ आर्थिक दिक्कतों की वजह से एक्सपो में शामिल नहीं हो पा रही थी, और उन्होंने अपनी दिक्कत मुख्यमंत्री के समक्ष रखी। जिस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया और कहा आप छत्तीसगढ़ का नाम देशभर में रोशन कर रही है, आप सामान पैक करें, सरकार आपको जापान भेजेगी।
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8. NECTAR और जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ने बोको में महिला बैच के उद्घाटन के साथ असम का पहला ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र शुरू
- असम में कामरूप जिले के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज, बोको में 25 जून 2024 को पहले महिला बैच के साथ ड्रोन पायलट के नाम से मशहूर RPTO (रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन) की स्थापना की। असम में पहली बार कॉलेज स्तर पर ड्रोन ट्रेनिंग शुरू की गयी।
- नेक्टर के महानिदेशक डॉ. अरुण कुमार सरमा ने कहा कि प्रशिक्षण का पहला बैच मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम से आई महिलाओं के लिए आयोजित किया जाएगा। जिसमें पांच राज्यों की कुल 10 महिलाओं को केंद्र सरकार की ड्रोन दीदी योजना के तहत पांच दिवसीय निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाऐगा।
- कॉलेज के प्राचार्य डॉ. तपन दत्ता ने कहा, “असम के सिलचर में बाढ़ मानचित्रण और आवश्यक चीजें उपलब्ध कराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए ड्रोन से काफी संभावनाएं है।”
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9. अक्ष मोहित कंबोज को इंडिया बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया
- श्रीमती अक्ष मोहित कंबोज को 22 जून, 2024 से प्रभावी इंडिया बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। उनकी यह ऐतिहासिक नियुक्ति स्वर्ण और आभूषण क्षेत्र में प्रतिष्ठित पद को धारण करने वाली पहली महिला के रूप में उन्हें चिह्नित करती है।
- श्रीमती कंबोज को कोलकाता क्रिकेट टीम के टाइगर्स के सह-मालिक व एस्पेक्ट ग्लोबल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है।
- श्रीमती कंबोज के नेतृत्व में आईबीजेए की रणनीतिक पहल से आगे बढ़ाने, पारदर्शिता, नैतिकता और उद्योग की सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित करेगा।
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10. भारत की पहली लाइसेंस प्राप्त गहरे समुद्र की मछुआरिन अब जीविका के लिए क्लैम शैल चुन रही
- केरल में त्रिशूर के चेट्टुवा की रेखा कार्तिकेयन ने भारत के गहरे समुद्रों में मछली पकड़ने का लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास बनाया है।
- रेखा कार्तिकेयन ने बताया कि तटरक्षक बल द्वारा बचाव अभियान के दौरान, उनकी रस्सी टूट गई, जिससे नाव डूब गई, और उन्होंने दो इंजन और मछली पकड़ने के जाल भी खो दिए। उन्होंने फिर सामाजिक विरोध और उत्पीड़न का सामना करते हुए मछली पकड़ने की यात्रा शुरू की।
- रेखा कार्तिकेयन ने बताया कि, वह चेट्टुवा के तटीय गांव में सीप की तलाश में रेतीले इलाके की खोजबीन करके उन्हें एक कोने में जमा करती है, और सीपों को छांटती है और जिन्हें कुचल कर प्राकृतिक खाद के रूप में बेचा जाएगा और अन्य उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जा सकेगा।
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