Jun 29, 2024 | Women Empowerment | Daily Report |
Women Empowerment | News Count (7) | |
1 | Women In Services -> Women In SHG | 1 |
2 | Government Schemes for women -> Schemes for Women Employment | 1 |
3 | Non-Governmental Schemes -> Schemes By NGOs | 3 |
4 | Startups and innovations by women -> Startups by Women | 1 |
5 | Women In Services -> Women In Sports | 1 |
1. Women of Falaka village in Katihar district of Bihar are improving their lives by beekeeping
- बिहार के कटिहार जिले के फलका प्रखंड के भंगहा और बेचूटोला गांव की दो दर्जन महिलाएं दो समूहों में मिलकर मधुमक्खी पालन कर रही हैं। आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही हैं
- बल्कि, वे अपने और अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन का सपना भी संजो रही हैं। मधुमक्खी पालन से ये महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। वे समाज की प्रगति में भी अपना योगदान दे रही हैं।
- फिलहाल दो गांव की 20 महिलाएं इस काम में लगी हैं. और 50 केजी शहद जमा हुआ है उम्मीद है कि इनसे प्रभावित होकर जल्द ही और भी महिलाएं शहद उत्पादन से अपने और अपने परिवार भविष्य को संवारने में सफल होंगी.
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2. ज्वार और मडुआ ने बनाया महिलाओं को आत्मनिर्भर, कुकीज और खाद्य सामग्री बनाकर कर रहीं बंपर कमाई
- बिहार के जमुई क्षेत्र की महिलाओं ने बिना किसी समूह की मदद के एकजुट होकर श्री अन्ना से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार कर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की बल्कि जिले के लिए एक मिसाल भी बनीं।
- शुरुआत में महिलाओं ने रागी, ज्वार और मडुआ से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार कर स्थानीय बाजारों में बेचा और फिर इंटरनेट मीडिया के विभिन्न माध्यमों से न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में इसका प्रचार-प्रसार भी किया।
- इस समय बाजार में ज्वार व मडुआ से बने लड्डू, सूखा टोस्ट, चिप्स, सेवइयां, मुरुक्कू, शकरपारा, आटा, बिस्कुट, समोसा, सूखा समोसा और सूखा केक की भारी मांग है।
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3. सरगुजा में बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड बना कर महिलाएं कर रही लाखों की आय, जानिए क्यों खास है ये पैड
- छत्तीसगढ़ के सरगुजा में स्वसहायता समूह की महिलाएं बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड बना रही हैं। समूह की सदस्य रजनी श्रीवास्तव ने बताया, "हम लोगों के समूह का नाम महिला उद्दमी बहुद्देश्यीय सहकारी समिति है. इसके तहत हम लोग सेनेटरी पैड बनाने का काम करते हैं।
- रजनी ने बताया, ये सेनेटरी पैड बायो डिग्रेडेबल हैं. इस यूनिट में हम 3 लोग काम करते हैं. हर महीने अभी 3 से साढ़े 3 हजार पैकेट पैड तैयार करते हैं. इसमें करीब डेढ़ से 2 लाख की लागत होती है। सब खर्चा काटकर हर महीने 50 से 60 हजार की आमदनी होती है।
- आदिवासी अंचल बतौली विकासखंड के मंगारी गांव में रहने वाली मुनीता एक वनवासी स्वच्छाग्राही ने कमाल कर दिया. घर बैठे ऐसा बिजनेस शुरू किया, जिससे सालाना 9 लाख की बिक्री कर रही हैं। मुनीता ने अपने साथ करीब 200 महिलाओं को भी रोजगार दिया है।
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4. Around ₹50,000 crore allocated for women-centric schemes
- The Maharashtra government has started the Chief Minister's Majhi Ladki Behan Yojana which will be implemented from July 2024, in which women will be given a monthly allowance of Rs 1500. Its main objective is to make women self-reliant and empowered.
- Under the Mukhyamantri Majhi Ladki Behan Yojana, the Maharashtra government has made a total annual allocation of around Rs 50,000 crore for women-centric schemes in its budget.
- This scheme will be implemented in July 2024. And the benefit of this scheme can be taken by those women whose family's annual income does not exceed ₹ 2.5 lakh, who are native residents of the state.
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5. From Scraps to Success: Women in Saharanpur Find New Livelihood Making Wooden Toys
- Together with 25 women in Saharanpur district of Uttar Pradesh, Ms Nazia has revived a traditional art in rural areas by transforming wood carving pieces into beautiful toys, from which she is now earning Rs 5,000 to Rs 7,000 every month.
- She started by selling her toys at local fairs. This has become a great way for women in rural areas to earn money, especially when many women have lost their jobs during the pandemic.
- Saharanpur's wood carving industry was registered with the Geographical Inspector six years ago. This is the reason why Saharanpur's wood carving is famous all over the world. If wood carving is mentioned anywhere in the world, Saharanpur's name comes first.
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6. मां-बेटी का कमाल, इंस्टाग्राम का मिला साथ, तो US तक छाया नाम
- झारखंड के रांची की नीतू और उनकी बेटी ने मिलकर अपने घर से ही डेकोरेटिव आइटम्स बनाने का बिजनेस शुरू करके महीने में ₹50,000 की कमाई कर रही है।
- नीतू ने बताया कि वह और उनकी बेटी खासकर इंस्टाग्राम पर पेज बनाकर मार्केटिंग करती है, साथ ही वह इसके लिए व्हाट्सएप और फेसबुक का भी इस्तेमाल करती है जहां पर वो हर प्रोडक्ट की जानकारी देती है।
- नीतू बताती है, कि वह त्योहार के हिसाब से डेकोरेटिव आइटम्स बनाती है, जैसे करवा चौथ में डिजाइनर लोटा, थाली और दुपट्टा बनाने का काम, दिवाली में डिजाइनर शुभ-लाभ का साइन, फैशनेबल रंगोली, रेडीमेड रंगोली और डिजाइनर कैंडल्स जैसी चीजें बनाती है, और सभी आइटम्स की कीमत ₹50 से लेकर 1500 तक रहती है।उनके द्वारा बनाये गए डेकोरेटिव आइटम्स यूपी, बिहार, आसपास के राज्य, झारखंड के सभी जिले के साथ अमेरिका तक भी जाते है।
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7. जैवलिन थ्रो में अनु रानी ने जीता स्वर्ण पदक, पेरिस ओलंपिक क्वालीफाई से चूकी
- उत्तर प्रदेश के मेरठ की अनु रानी ने पंचकूला में आयोजित 63वीं राष्ट्रीय इंटर स्टेट एथलेटिक चैंपियनशिप 2024 में महिलाओं की भाला फेंक स्पर्धा में 28 जून 2024 को शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।
- अनु रानी ने 9 प्रतिद्वंदियो से प्रतिस्पर्द्धा करते हुए अपने निकटम प्रतिद्वंदी कर्नाटका की राम्याश्री जैन और आंध्रप्रदेश की एथलीट राशमिक से बेहतर प्रदर्शन करते हुए मेडल जीता।
- 31 वर्षीय अनु रानी के नाम 2022 में जमशेदपुर में बनाया गया 63.82 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है।
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